शुक्रवार, 4 मई 2018

समुदाय संचालित विकास (Society Driven Development)


समुदाय संचालित विकास यानी (Society Driven Development) को सामान्यतया CDD भी कहा जाता है। विकास की इस नई अवधारणा में समुदाय को न केवल विकास का प्रमुख अंग माना जाता है, वरन समुदाय स्वयं ही अपनी विकास योजनाओं का संचालन करता है।
इसके तहत योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी समुदाय को दे दी जाती है, समुदाय के लोग ही योजना को बनाने से लेकर उसके क्रियान्वयन और आगे संचालन में मुख्य भूमिका निभाते हैं, जबकि सरकारी विभाग तकनीकी के स्तर पर उनकी मदद करते हैं।
वर्ष 1970 से सर्वप्रथम विकास में सहभागिता यानी  PARTICIPATION की बात शुरू हुई थी, जबकि 1990 के बाद से विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक जैसी विकास कार्यों के लिये धन देने वाली वैश्विक संस्थाओं ने समुदाय संचालित विकास के आधार पर ही योजनाएें चलानी शुरू कीं।
समुदाय संचालित विकास के तहत समुदाय स्वयं अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुऐ अपनी जरूरत की योजनाएें बनाता है। गांव के गरीब ग्रामीणों को भी साझेदार यानी पार्टनर का दर्जा दे दिया जाता है।

समुदाय संचालित विकास की विशेषताएें

1. समुदाय संचालित विकास आवश्यकता पर आधारित होती है।
2. इसमें क्षेत्र की जरूरत के आधार पर समस्याओं के समाधान तलाशे जाते हैं।
3. प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रित उपयोग किया जाता है।
4. निर्णयों की शक्ति समुदाय के हाथ में दे दी जाती है।
5. शक्ति का विकेंद्रीकरण समुदाय संचालित विकास की बड़ी विशेषता है।

समुदाय संचालित विकास के लाभ

1. Demand Driven Approach : समुदाय संचालित विकास आवश्यकता यानी पर आधारित होता है।
2. Site Specific Solutions : इसमें क्षेत्र की जरूरत के अनुसार समाधान मिल जाते हैं।
3. Decentralisation (विकेंद्रीयकरण): पंचायतों जैसे स्थानीय प्रशासनिक इकाइयां व संस्थाएें कार्य कराती हैं। इस प्रकार सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है। छोटे-छोटे निर्णयों के लिये सरकार या बड़े अधिकारियों का मुंह नहीं ताकना पड़ता।
4. Institutional Arrangements : समुदाय के लोग स्वयं सहायता समूहों-एनजीओ, संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारियों, कर्मियों, ग्राम पंचायत सहित कई संस्थाओं से जुड़े लोग मिलकर कार्य करते हैं। इस प्रकार सामुदायिक सहभागिता के जरिये बहुत से लोगों के ज्ञान का उपयोग होता है, व कार्य बेहतर होते हैं।
5. Participation (भागेदारी): Participatory Development Communication यानी विकास सहभागी संचार के जरिये विभिन्न वर्गों के बीच संचार तथा भागेदारी होती रहती है। हर किसी के उपयोगी विचारों को योजना में शामिल किया जाता है।
6. Low Maintenance Cost (मितव्ययिता) : योजनाओं के संचालन (Running Cost) में मितव्ययिता रहती है।
7. अधिक पारदर्शिता : सरकारी विभागों, समुदाय, सामाजिक संस्थाओं आदि के एक साथ मिलकर कार्य अधिक पारदर्शिता से होते हैं। सबको पता होता है कि क्या कार्य हो रहे हैं, और क्यों तथा किस तरह हो रहे हैं।
8. इस प्रकार कार्यों की गुणवत्ता अन्य किसी प्रविधि से बेहतर होती है।

समुदाय संचालित विकास की हानियां

हर किसी प्रविधि की भांति समुदाय संचालित विकास पद्धति में कार्य करने की भी अनेक हानियां हैं।
1. Elite Domination : अक्सर समर्थ लोग विकास योजनाओं को अपने पक्ष में मोड़कर उनके लाभ हड़प जाते हैं। क्योंकि असमर्थ और योजना के वास्तविक जरूरतमंद लोग समर्थों की उपस्थिति में अपनी बात नहीं रख पाते हैं। इसलिये उन्हें योजनाओं के लाभ भी नहीं मिल पाते हैं।
2. अधिक संस्थाओं की भागेदारी होने के कारण अक्सर उनके बीच में समन्वय स्थापित करने की दिक्कत आती है। इस कारण कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं।
3. लाल फीताशाही भी समुदाय संचालित विकास की राह में बड़ा रोढ़ा है। पुरानी व्यवस्था के अभ्यस्त लोग व अधिकारी जल्दी इसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
4. संस्थाएें, सरकारी विभागीय अधिकारी अपनी मानसिकता में परिवर्तन नहीं ला पाते हैं। इस कारण भी समुदाय संचालित विकास का लाभ समाज को नहीं मिल पाता है।
समुदाय संचालित विकास के महत्वपूर्ण अंग: समुदाय संचालित विकास के दो महत्वपूर्ण अंग हैं।
अ. Opinion Leaders : ‘Two Step Theory’ में ओपिनियन लीडर्स की उपयोगिता बताई गई है। ओपिनियन लीडर्स-
1. Heavy Media Users होते हैं।
2. ज्ञान वैशिष्ट्य : उन्हें विषय का विशिष्ट ज्ञान (Specialized knowledge) होता है।
3. वह बड़ी हैसियत (High Esteem) वाले लोग होते हैं।
वहीं कार्ट्ज (Kartz) के अनुसार ओपिनियन लीडर्स की शख्शियत बड़ी व विश्वसनीय होती है। वह ज्ञानवान होते हैं, और समाज में उनकी बात सुनी और मानी जाती है। लोग उन्हें पसंद करते हैं।
ब.Change Agents: चेंज एजेंट्स वे लोग हैं जो समुदाय संचालित विकास की नई अवधारणा को समाज के लोगों को समझाकर इसे उनके लिये ग्राह्य बनाते हैं।
उनका मुख्य कार्य इस बदलाव के लिये भूमिका बनाना होता है।
1. वह मूलत: स्थानीय लोग ही होते हैं।
2. इस प्रकार एक तरह से वह समुदाय एवं सरकारी एजेंसी के बीच फैसीलिटेटर (Facilitator) की भूमिका निभाते हैं।
3. वह संचार के माध्यमों का प्रयोग कर समुदाय के लोगों को उन्हीं की भाषा में योजना के गुण-दोष (खासकर गुण) समझाते हैं।
4. ग्रामीणों से सूचनाएें, उनके विचार लेते हैं, उनकी समस्याओं, आपत्तियों का समाधान तलाशते हैं, और अपने मूल कार्य के उद्देश्य को पूरा करते हुऐ उन्हें योजना के लिये राजी करते हैं।
संदर्भ 
https://www.navinsamachar.com/communication-news-writing/#.Wuy05qSFPIU

कोई टिप्पणी नहीं: