शुक्रवार, 4 मई 2018

टेलीविज़न इंट्रो लेखन


किसी साधारण टीवी रिपोर्ट में इंट्रो यानी वो हिस्सा जो प्रेज़ेंटर पढ़ेगा, उसे छोटा और दिलचस्प होना चाहिए. इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य भी आने चाहिए और साथ ही इसे कौतूहल पैदा करनेवाला भी होना चाहिए. ये ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि इंट्रो और रिपोर्ट की पंक्तियों में दुहराव न हो.
टॉप लाइन
काम पर आने के बाद कोई रिपोर्ट करने के लिए कहे जाने पर सबसे पहला काम जो आप करते हैं वो उस बारे में जितना संभव हो उतनी जानकारी जुटाना. इसका मतलब हुआ विभिन्न समाचार एचेंसियों, जैसे रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस आदि, पर आई ख़बरों को पढ़ना और जो भी महत्वपूर्ण है उसे मार्क करना और इसके बाद उस रिपोर्ट की टॉप लाइन निकालना. ये उस रिपोर्ट का वो अंश है जो सबसे महत्वपूर्ण है और जिसे आप अपने श्रोताओं या दर्शकों को बताना चाहते हैं. जैसे ये एक साधारण, सीधी स्क्रिप्ट है –
‘लेखक सर जॉन मॉर्टिमर का आज निधन हो गया’
यानी अब हमें उनकी उम्र, मृत्यु का कारण और उनकी सबसे मशहूर कृति के बारे में जानना है. इसलिए क्यू में सारी बातें तथ्यात्मक होनी चाहिए – केवल ब्यौरा और केवल तथ्य.
कहानी सुनाना
आप अपनी रिपोर्ट में एक कहानी बता रहे हैं और उस कहानी को श्रोताओं तक पहुँचा रहे हैं. आप चाहते हैं कि वे आपकी बातों में दिलचस्पी लें, इसलिए आप सबसे अच्छी पंक्ति को अपनी कहानी के सबसे ऊपर रखेंगे ताकि श्रोता इससे आकर्षित हों. आप अपनी स्क्रिप्ट ऐसे शुरू नहीं करना चाहेंगे – सरकार का कहना है या आज जारी किए गए एक सर्वेक्षण का कहना है – क्योंकि ये बहुत दिलचस्प नहीं होगा. आप संभवतः अपनी रिपोर्ट किसी बयान से शुरू करना चाहेंगे जो कि आपकी रिपोर्ट का हिस्सा है. ये अक्सर रिपोर्ट शुरू करने का एक बहुत अच्छा तरीक़ा हो सकता है. आप ड्रॉप्ड क्यू का तरीक़ा भी अपना सकते हैं जिसमें आप शुरूआत में एक सवाल पूछते हैं और रिपोर्ट के बीच में कहीं उसका जवाब पाते हैं. आप रिपोर्ट में सारी बातें केवल रख भर न दें – उन्हें दिलचस्प बनाने की भी कोशिश करें. कोशिश करें कि लोग आपकी बातों को सचमुच सुनना चाहें जो आपको कहना है. जैसे शिक्षा संबंधी एक रिपोर्ट ऐसे भी शुरू हो सकती है कि - ‘केरल के वरिष्ठ मुख्य निरीक्षक की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार..., मगर इससे ये रिपोर्ट बहुत नीरस लगेगी. इसलिए रिपोर्टर ने इसे ऐसे लिखा – साक्षरता लाने में कमियों को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट. और इसके बाद आप कह सकते हैं कि ये रिपोर्ट किसने जारी की है.
हेडलाइन और स्क्रिप्ट
इस बात का ध्यान रखें कि आपकी रिपोर्ट की हेडलाइन और पहली पंक्तियाँ एक साथ पढ़ी जानी हैं, इसलिए उनमें बहुत अधिक दोहराव नहीं होना चाहिए. जैसे, न्यूयॉर्क की हडसन नदी में एक विमान के उतरने की रिपोर्ट लिखने का उदाहरण लेते हैं. हेडलाइन ये है – ‘न्यूयॉर्क की हडसन नदी में विमान की आकस्मिक लैंडिंग करवाने वाले पायलट की सराहना.’ अब आप जब स्क्रिप्ट लिख रहे हैं तो आपको शुरूआती हिस्से में कुछ अलग लिखना होगा. इसलिए दुर्घटना में बचे एक व्यक्ति की प्रतिक्रिया से मदद लेते हैं – इंजन से ज़ोर की आवाज़ आई और सब प्रार्थना करने लगे – एक यात्री के अनुसार कुछ ऐसा माहौल था जब न्यूयॉर्क के ऊपर एक अमरीकी विमान के दोनों इंजन बंद हो गए.
अपनी स्क्रिप्ट पढ़ें
अपनी स्क्रिप्ट ख़त्म करने के बाद उसे बोलकर पढ़ें. उन शब्दों को पढ़ें जिन्हें प्रेज़ेंटर को पढ़ना है क्योंकि अक्सर जो लिखा होता है जब उसे पढ़ा जाए तो वो उतना अच्छा सुनाई नहीं देता इसलिए लिखते समय इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है, और लिखने के बाद इसे पढ़ना भी ज़रूरी है ताकि पता लग जाए कि आप कहीं लड़खड़ा तो नहीं रहे. यदि ऐसा हुआ तो हो सकता है कि प्रेज़ेंटर को भी बोलते समय परेशानी हो.
टीज़र
आप सब कुछ अपनी स्क्रिप्ट में ही न कह डालें. ऐसे में रिपोर्टर के लिए कुछ कहने के लिए रह ही नहीं जाएगा. स्क्रिप्ट को टीज़र जैसा होना चाहिए ताकि श्रोता और जानना चाहें, रिपोर्टर की बात भी सुनना चाहें. जब आप इसे लिख रहे हैं तो ये अवश्य देख लें कि रिपोर्ट क्या कहने जा रहा है. ये सुनिश्चित कर लें कि आप एक-दूसरे की बातों को काट तो नहीं रहे या दोहरा तो नहीं रहे.
तथ्यों की जाँच करें
तथ्यों की दोबारा जाँच करें, तिबारा जाँच करें. रिपोर्टर से पता लगाएँ, एजेंसी कॉपियों को देखें और सारे दिन इस पर नज़र रखें. घटनाएँ बहुत तेज़ी से बदल सकती हैं और आपको उनका पता रहना चाहिए ताकि आप जब प्रसारण के लिए जा रहे हैं तो आपको पता हो कि आप उस समय तक उपलब्ध सबसे ताज़ा सूचनाएँ प्रसारित कर रहे हैं.
क्यू और स्क्रिप्ट
प्रेज़ेंटर ऐसे क्यू या स्क्रिप्ट पढ़ना पसंद करते हैं जो सटीक और ज़ोरदार हों. उनमें बहुत टेढ़े मुहावरे न लिखें. न बहुत अधिक उद्धरण हों, हालाँकि एक-दो का इस्तेमाल अक्सर अच्छा भी लगता है. यदि संभव हो तो प्रेज़ेंटर की शैली को समझें और उस हिसाब से लिखने की कोशिश करें. और स्वाभाविक है कि आप प्रेज़ेंटर से इस बात की पुष्टि कर लें कि वो उस क्यू को पढ़कर ख़ुश हैं जो आपने लिखा है.
सामूहिक प्रयास और ज़िम्मेदारी
कोई कार्यक्रम एक सामूहिक प्रयास से तैयार होता है और ऐसे ही स्क्रिप्ट लिखना भी टीमवर्क का हिस्सा है. कई प्रेज़ेंटर ख़ुद लिखना पसंद करते हैं और चाहते हैं कि प्रोड्यूसर उन पर एक नज़र डाल लें. वैसे स्क्रिप्ट जो भी लिख रहा हो, इसकी अंतिम ज़िम्मेदारी प्रोड्यूसर की होती है. इसलिए आपको ये देखना चाहिए कि आपकी स्क्रिप्ट पर प्रेज़ेंटर और एडिटर ने नज़र डाल ली है. पर अंततः चूँकि ज़िम्मेदारी प्रोड्यूसर की है, इसलिए आपको लगातार ये देखना होगा कि जो स्क्रिप्ट लिखी जा रही है वो सही है.
संदर्भ 
http://www.bbc.co.uk/academy/hi/articles/art20140402120646656

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