बुधवार, 2 दिसंबर 2015

किस्सा-ए-कम्युनिस्ट

कम्यूनिज्म तथा कम्यूनिस्टों के बारे में मुझे सबसे पहले अपने गाँव जमुआंव से ही पता चला था | उस दौर में भूमिहारों के घर कांग्रेसी या भाजपाई पैदा होते थे, डर के मारे कुछ लोग या यूँ कह सकते है कि ब्राह्मणों के चक्कर में भी राष्ट्रीय जनता दल यानि लालू जी के पाले में अवतरित हो जाते थे | हमारे टोले में कोई उतना पढ़ा लिखा नहीं था जो क्रांति की बात करता ,सब के सब सरकारी नौकर थे ,सत्ता के गुलाम लोगों का टोला था | गाँव में पक्के रूप में कहा जाये तो एक ही कॉमरेड थे ,सबको लाल सलाम कहते फिरते थे ,गाँव के चौक पर जय प्रकाश भाई का घर था | जब हम बच्चें लोग उनसे पूछते थे कि लाल सलाम का क्या मतलब है तो अक्सर बोल कर भगा देते थे कि तुम लोगों के समझ से बहार की चीज है | जब मैं छठी क्लास में पहुंचा तब दोस्तों के साथ हिम्मत जुटा कर उनसे पूछ बैठा, चक्कर क्या है कॉमरेड और लाल सलाम का ? पहले तो बोलने को तैयार नहीं थे बहुत ज़िद के बाद तैयार हुए, रिक्वेस्ट भी किया कि जो भी बोलूँगा हँसना नहीं है कॉमरेड तुम लोगों को, ध्यान से सुनना और जवाब देना है | बोलना शुरू किया ,जब कामरेडों की सरकार होगी तब सब कुछ हम लोगों के हाथ में होगा, व्यवस्था हमारे हाथ में होगी | सर्वहारा का शासन होगा | जिसकों जो चाहिए वो उसको वो चीज़ मिल जाएगी| श्याम बाबा सबसे बड़े थे उन्होंने बोला | हम लोगों को साईकल भी ! हा साईकल भी ! यहां तक कि लखराज बो को घर तक मिल जायेगा | भाई क्या क्या बताऊ ,मैं बहुत प्रभावित हो गया था कॉमरेड जयप्रकाश से | उन्होंने कहा कॉमरेड तुम लोग साथ दो हम क्रांति ला कर गाँव में रख देंगे | आठवीं क्लास के बाद मुझे तो बस देवेन्द्र बनिया का पैसा दिख रहा था जो जयप्रकाश ने उसकी तिजोरी में रखा मेरा हिस्सा दिखा दिया था | अब तो क्रांति हो कर रहेगी | अब दौर शुरू हुआ कॉमरेड बनाने का , मैंने बहुत से भूमिहारों और राजपूतों को बोला बन लो कॉमरेड मौका है | कुछ ने बहुत गालियाँ सुनायी और कुछ यानि 10 प्रतिशत भूख और प्यास मिटाने के लिए बन गये कॉमरेड | जो लोग नहीं बने कॉमरेड उनकों मैंने मान लिया था वो जाहिल लोग है ,अनपढ़ है जब ज्ञान होगा तो जरुर कॉमरेड बनने मेरे पास आयेंगे | अनपढ़ लोगों में मेरी दुकान चल निकली थी,हिंदी के मुश्किल शब्दों से मैंने अपनी दुकान सजा राखी थी, सबकों लालच देता रहा ,क्या बताऊँ भाई लाईन लगी थी कॉमरेड बनने की | सबको कुछ न कुछ चाहिए थे किसी को गाय,घोडा, मोबाईल,बाईक, बकरी,जर्सी, गाय,खाद आदि | सबको मैं पब्लिक डिमांड पे देने लगा था | मेरी पार्टी में आने वाले मेम्बरान की संख्या दोगुनी हो गई थी | कॉमरेड बनने के बाद जिसकों जो चाहिए वो मेरे घर आने लगा |
रामनाथ गोंड को साईकल चाहिए था तो रोज घर पे आने लगा था ,पिताजी अब नाराज होने लगे थे, |रोज सुबह से शाम तक लगभग 500 लोगों को लाल सलाम बोलने लगा था,इससे ज्यादा लोग मुझे बोलने लगे थे | नहाना और दाढ़ी बनाना बंद ही कर दिया था जब माँ बोलती थी तो कहने लगा था कि देश खतरें में है, तुमकों नहाने की पड़ी है |
जो लोग मेंबर नहीं थे उसकों यहीं बोलता रहा पहले मेंबर तो बन जाओ कॉमरेड,  फिर बात करते हैं | प्रेम गोंड और तपेसर राम ने कहा कि बाबु मुफ्त की चीज़ मिल रही है जवनी पार्टी में जोड़ना है जोड़ दी हमका |

पंचायत के सभी निकक्मों को अपनी पार्टी में खपा दिया था मैंने | सब रोज सुबह-शाम लाल सलाम, कॉमरेड, सर्वहारा,अधिनायकवाद बोलते रहते थे | सबकी नज़र देवेन्द्र बनिया और मैरवा के शाही लोगों पर थी| कुछ ही दिन बाद मैरवा में भी सीपीआईएम का दफ़्तर खुल गया था अब हमारी बैठकी वही लगने लगी थी, सभी निठल्लों की फ़ौज तैयार थी क्रांति के लिए, लेनिन और स्टॅलिन हमारे आदर्श हो गए | दीवारों पर रोज देखने लगा था | दादा स्वर्गीय शिवसागर राय का सूद वाला धंधा मैंने मंदा कर दिया था | उनके सूद के पैसे मैं माफ़ कराने लगा था | कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि मेरे कॉमरेड गुरु जयप्रकाश जी जेल चले गए | आरोप यह था कि उनके घर से बड़ी मात्र में हथियार बरामद हुआ था | ये भी पता चला कि वो अनपढ़ थे | कॉमरेड क्या बोलूं अब धीरे-धीरे सबकी पोल खुलने लगा थी, सभी शराबिओं का मंच खड़ा कर रखा था मैंने | जिस तरह से सोवियत रूस का विघटन हुआ था उसी तरह हमारे नसेड़ी-गजेडी कम्युनिस्ट पार्टी का विघटन हो गया | आज कल मैं भाजपाईयों से ज्यादा प्रभावित हूँ !

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