शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

कहाँ तक सही है ?

आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया विशाविध्यल्या में हिंदी विभाग के विभाग्यध्क्ष्य श्री अब्दुल बिस्मिल्हा जी ने कहा की समकालीन में मुस्लिम साहित्यकारों की पुस्तकों या रचनाओ को पढ़ा नहीं जा रहा है ,वे एक परिचर्चा में बोल रहे थे . परिचर्चा का विषय था ,साहित्य और आधुनिक समकालीन हिंदी , परिचर्चा के मुख्य अथिथि थे विवेक कुमार दुबे , बिसमिला जी ने कहा की प्रकाशको द्वारा भी मुस्लिम लेखको की अवहेलना की जाती है .आप सभी लेखक बंधू इस वक्तव्य को कहा तक उचित मानते है ? क्या सच में एसा हो रहा है ?

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